HANUMAN CHALISA FOR DUMMIES

hanuman chalisa for Dummies

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तीनों लोक हाँक तें काँपै ॥२३॥ भूत पिसाच निकट नहिं आवै ।

kumatiKumatiIgnorance / negative intellect nivāra NivāraPurify / cleanse sumatiSumatiWise / excellent intelligence keKeOf sangīSangīCompanion / Mate This means: Oh fantastic hero with valiant physique as solid as Indra’s Vajra (Thunderbolt/weapon), the remover of bad intellect or ignorance or evil ideas, oh the companion of The great.

Energy: Hanuman is terribly strong, 1 effective at lifting and carrying any stress for any lead to. He is referred to as Vira, Mahavira, Mahabala and various names signifying this attribute of his. Over the epic war among Rama and Ravana, Rama's brother Lakshmana is wounded. He can only be healed and his Loss of life prevented by a herb located in a certain Himalayan mountain.

Upon arriving, he learned that there have been a lot of herbs along the mountainside, and did not desire to choose the incorrect herb again. So as a substitute, he grew to the scale of the mountain, ripped the mountain from the Earth, and flew it back to your struggle.

व्याख्या – मैं अपने को देही न मानकर देह मान बैठा हूँ, इस कारण बुद्धिहीन हूँ और पाँचों प्रकार के क्लेश (अविद्या, अस्मिता, राग, द्वेष एवं अभिनिवेश) तथा षड्विकारों (काम, क्रोध, लोभ, मोह, मद, मत्सर) से संतप्त हूँ; अतः आप जैसे सामर्थ्यवान् ‘अतुलितबलधामम्‘ ‘ज्ञानिनामग्रगण्यम्‘ से बल, बुद्धि एवं विद्या की याचना करता हूँ तथा समस्त क्लेशों एवं विकारों से मुक्ति पाना चाहता हूँ।

“Hanuman will release Those people from troubles who meditate upon him in their mind, steps and phrases.”

अस बर दीन जानकी माता ॥३१॥ राम रसायन तुह्मरे पासा ।

व्याख्या — श्री हनुमान जी का नाम लेनेमात्र से भूत–पिशाच भाग जाते हैं तथा भूत–प्रेत आदि की बाधा मनुष्य के पास भी नहीं आ सकती। श्री हनुमान जी का नाम लेते ही सारे भय दूर हो जाते हैं।

గమనిక: శరన్నవరాత్రుల సందర్భంగా "శ్రీ లలితా స్తోత్రనిధి"

भावार्थ– हे हनुमान् स्वामिन् ! आपकी जय हो ! जय हो !! जय हो !!! आप श्री गुरुदेव की भाँति मेरे ऊपर कृपा कीजिये।

भावार्थ – भगवान् श्री राघवेन्द्र ने more info आपकी बड़ी प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि तुम भाई भरत के समान ही मेरे प्रिय हो ।

बल बुद्धि बिद्या देहु मोहिं, हरहु कलेस बिकार ॥

आप सुखनिधान हैं तथा सभी सुख आपकी कृपा से सुलभ हैं। यहाँ सभी सुख का तात्पर्य आत्यन्तिक सुख तथा परम सुख से है। परमात्म प्रभु की शरण में जाने पर सदैव के लिये दुःखों से छुटकारा मिल जाता है तथा शाश्वत शान्ति प्राप्त होती है।

भावार्थ – तपस्वी राम सारे संसार के राजा हैं। [ऐसे सर्वसमर्थ] प्रभु के समस्त कार्यों को आपने ही पूरा किया।

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